शहादत के मूल्य
भागलपुर, 23 मार्च (हि.स.)। पीस सेंटर परिधि द्वारा गुरुवार से तीन दिवसीय सद्भावना अभियान शहादत के मूल्य की शुरुआत की गई। 23 मार्च भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस से 25 मार्च गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस तक शहादत के मूल्य कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में युवाओं और किशोरों के बीच भगत सिंह और गणेश शंकर विद्यार्थी के विचारों पर चर्चा की जा रही है। आज भगत सिंह स्मारक पर श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत विनय कुमार भारती द्वारा गीत ऐ भगत सिंह तू जिंदा है गाकर हुई। श्रद्धांजलि गीत के बाद सभा को संबोधित करते हुए पीस सेंटर परिधि के राहुल ने कहा कि भगत सिंह की शहादत से गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस तक हम सद्भावना अभियान - शहादत के मूल्य द्वारा देश की एकता और भाईचारा का संदेश फैला रहे हैं। भगत सिंह ने एक ऐसी देश की कल्पना की जहां सौहार्द, भाईचारा, लोकतंत्र और समाजवाद होगा। इन्हें वैचारिक मूल्य समाजवाद, लोकतंत्र, वैज्ञानिकता के खातिर इन्होंने अपना बलिदान दिया। गणेश शंकर विद्यार्थी और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी धर्म को निजी आस्था का विषय मानते थे। धर्म के नाम पर किसी को आहत किया जाना उन्हें बर्दाश्त नहीं था। इस मौके पर मंजर आलम ने कहा कि भगत सिंह जैसे युवा विचारकों की आज जरूरत है। जिन्होंने अपनी शहादत देकर देश को एक दिशा दी। हम उनके विचारों को नव युवकों में फैलाएं यही सच्ची श्रद्धांजलि है। ललन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भगत सिंह उस वक़्त के गवाह थे, जब लगभग आधी दुनिया बोल्शेवि क्रांति से प्रभावित थी। इससे पूँजीवादी विश्व थर्राया हुआ था। एक सोच कि उत्पादक समाज(मजदूर) खेत-कारखाने में पसीना जला कर मानव सभ्यता की हर जरूरत पूरी कर सकता है तो लूटने वाले चंद लोग मालिक क्यों हैं? अपनी शहादत से भारत में समता आधारित राज व्यवस्था का स्वप्न उन्होंने हर हिन्दोस्तानी दिल में जगा दिया था। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय
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