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Latest Events
Protect Environment

The purpose of our organization is to protect environment with help of community.

Happy society

To establish a just and prosperous & happy society based on cultural social harmony and ecological equilibrium is also our purpose.

Equal opportunity

We want equal opportunity for all. Marginalized and weaker section such as children, women, slum dwellers, fish workers, OBC/EBC, SC/ST, minority and displaced weaker section are our focused area of intervention.

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1.5K

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Our Impact

What We Do?

PARIDHI, a group of social cultural activists deeply engaged in Ganga Mukti Andolan for the cause of fishing community, keeping in mind the principle of community right/control on natural resources and thus strengthening the discourse of sustainable development with the boons of nature -- has its roots in JP Movement and afterwards remain close proximity with Chhatra Yuva Sangharsh Vahini and the Sampurn Kranti School of Thoughts.

Awareness

We have been organizing formal- informal meetings, bicycle rally, hand bill distribution, etc. to spread awareness for Peace & harmony in the society.

‘Eid Milan, Holi Milan, Deepawali Milan, Hiroshima divas etc.

Paridhi Peace Center is being operated in association with Centre for Secularism and Social Studies, Mumbai. ‘Eid Milan, Holi Milan, Deepawali Milan, Hiroshima divas etc

Believe in diversity,

We have been active in Peace & Harmony and believe in diversity, since even before riots of 1989 in Bhagalpur. We have been organizing formal- informal meetings, bicycle rally, hand bill distribution, etc. to spread awareness for Peace & harmony in the society.

Natak

Paridhi promotes sustainable development and uses Theater to inspire social change. Their powerful productions engage audiences and motivate them to take action on pressing issues. Through their work, Paridhi is making a real difference in marginalized communities and serves as an inspiring model for creating positive change in the world.

Child Rights

Paridhi fight for child rights and works towards promoting access to education, healthcare, and protection for children. Additionally, Paridhi recognizes the importance of using cultural activities such as theater, music, and art to engage children and raise awareness on issues affecting them. By combining cultural activities with their other programs,

Women's Empowerment

Paridhi empowers women using drama and music, they raise awareness about social issues and provide a platform for women to showcase their talents. This approach promotes women's rights, confidence, self-esteem, and a sense of community.

Work

Successful Projects

Paridhi has been dedicated to making a positive impact in the world through various projects that promote social welfare, environmental sustainability, and community development we have successfully completed numerous projects that have made a significant difference in the lives of countless individuals and communities

Team

Team Members

Registered under Societies Registration Act. FCR Act, I.T 12A & 80G

Director
Uday

Social and Cultural Activist

Secretary
Lalan Kumar

Social and Cultural Activist

Rajeev Kumar Singh

An Artist

Abhijeet Shankar

Artist

Sharwani Ray

Social and Cultural Activist

Shekhar

Social and Cultural Activist

Blog

Blog Posts

We are proud of the progress we have made, but we know that there is still much work to be done. We remain committed to our mission of creating a world where everyone has the opportunity to thrive, and we invite you to join us in this important work.
We can create a brighter future for ourselves, our communities, and the world!.

परिधि 27 Mar, 2023
शहादत के मूल्य

भागलपुर, 23 मार्च (हि.स.)। पीस सेंटर परिधि द्वारा गुरुवार से तीन दिवसीय सद्भावना अभियान शहादत के मूल्य की शुरुआत की गई। 23 मार्च भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस से 25 मार्च गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस तक शहादत के मूल्य कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में युवाओं और किशोरों के बीच भगत सिंह और गणेश शंकर विद्यार्थी के विचारों पर चर्चा की जा रही है। आज भगत सिंह स्मारक पर श्रद्धांजलि सभा की शुरुआत विनय कुमार भारती द्वारा गीत ऐ भगत सिंह तू जिंदा है गाकर हुई। श्रद्धांजलि गीत के बाद सभा को संबोधित करते हुए पीस सेंटर परिधि के राहुल ने कहा कि भगत सिंह की शहादत से गणेश शंकर विद्यार्थी के शहादत दिवस तक हम सद्भावना अभियान - शहादत के मूल्य द्वारा देश की एकता और भाईचारा का संदेश फैला रहे हैं। भगत सिंह ने एक ऐसी देश की कल्पना की जहां सौहार्द, भाईचारा, लोकतंत्र और समाजवाद होगा। इन्हें वैचारिक मूल्य समाजवाद, लोकतंत्र, वैज्ञानिकता के खातिर इन्होंने अपना बलिदान दिया। गणेश शंकर विद्यार्थी और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी धर्म को निजी आस्था का विषय मानते थे। धर्म के नाम पर किसी को आहत किया जाना उन्हें बर्दाश्त नहीं था। इस मौके पर मंजर आलम ने कहा कि भगत सिंह जैसे युवा विचारकों की आज जरूरत है। जिन्होंने अपनी शहादत देकर देश को एक दिशा दी। हम उनके विचारों को नव युवकों में फैलाएं यही सच्ची श्रद्धांजलि है। ललन ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भगत सिंह उस वक़्त के गवाह थे, जब लगभग आधी दुनिया बोल्शेवि क्रांति से प्रभावित थी। इससे पूँजीवादी विश्व थर्राया हुआ था। एक सोच कि उत्पादक समाज(मजदूर) खेत-कारखाने में पसीना जला कर मानव सभ्यता की हर जरूरत पूरी कर सकता है तो लूटने वाले चंद लोग मालिक क्यों हैं? अपनी शहादत से भारत में समता आधारित राज व्यवस्था का स्वप्न उन्होंने हर हिन्दोस्तानी दिल में जगा दिया था। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

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1 22 Mar, 2023
पानी संवाद

16 मार्च को पानी संवाद का आयोजन Paridhi Bhagalpur की ओर से कला केंद्र में हुआ. पानी दुनियां का बहुत बड़ा सवाल बन चूका. ग्लोबल वार्मिंग और बालू आदि के खनन से छोटी नदियां समाप्त हो चुकी है. भारत की ज्यादातर नदियां बारहमासी थी. जलवायु परिवर्तन से बारिश प्रभावित हुआ है. बरसात के पानी से एक्विफर रिचार्ज होता था फिर बरसात के बाद नदी रिचार्ज होता था. भूजल स्तर घटना नदियों के मरने का मूल कारण है. 77 अरब गैलन पानी हर दिन जमीन के अंदर से निकाला जाता है. गाँवो की 90 % आबादी पेयजल के लिये भूजल पर निर्भर है. पानी का 70 % हिस्सा खेती में खपत हो जा रहा है. आधुनिक कारपोरेटी विकास के कारण कार, इलेक्ट्रोनिक्स कपड़े और अपर्टमेंट कल्चर के कारण पानी की खपत बढ़ी है. 80 % औद्योगिक और शहरों के नालों का पानी जलश्रोतों में छोड़ दिया जाता है. दूसरी ओर शहरीकरण की प्रक्रिया भी तेज हुई है. आजादी के वक्त शहर में 16 % आबादी ही निवास करती थी जो बढ़कर अब करीब करीब 40 % हो गई है. जिन अर्थ शास्त्रीययों ने मनुष्य के अस्तित्व पर खतरों को नहीं भांपा वे बेकार हैं. गांधी इसलिये भी महात्मा हो गये क्योंकि उन्होंने शैतानी सभ्यता को पहचान लिया. जब मनुष्य का अस्तित्व ही खतरे में हो तो वैसे में नस्ल, वर्ण और साम्प्रदायिक वर्चस्व का संघर्ष सेकेण्डरी हो जाता है. आज मनुष्य और प्रकृति बचाने का संघर्ष ही समय की प्राथमिक मांग है .

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होली 22 Mar, 2023
होली मिलन

सभी को लोकउत्सव होली की बधाई और शुभकामनायें. शब- ए -बरात की शुभकामनायें. देसी वर्षान्त और नव वर्ष की शुभकामनायें. Paridhi Bhagalpur द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आयोजित हुआ. इस आयोजन में महिला पुरुष हिंदू मुसलमान सभी समुदाय और वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया. होली फाल्गुन के अंत यानि पूर्णिमा के दिन और कहीं पहला चैत नव वर्ष के प्रारंभ के अवसर पर मनाया जाता है. भागलपुर के गांव इलाके में यह त्यौहार फगुआ नाम से ज्यादा प्रचलित है .होली वसंतोत्स्व के रूप में भी मनाया जाता है. होली नये फसल के आगमन की खुशी का भी त्यौहार है. होली नफरत को तिलांजलि देने और प्रेममूलक समाज बनाने का त्यौहार है. संस्कृति का निर्माण पहले हुआ है धर्म का बाद में. धर्म और संस्कृति अलग अलग हैं. संस्कृति को धर्म से जोड़ने की साजिश पुरानी है. हिरणकश्यप, प्रह्लाद, होलिका और नरसिंह की कहानी बाद में होली के साथ जोड़ी गई है. उपरोक्त काल्पनिक पात्र जरूर हैं मिथकीय पात्र जरूर हैं पर उसके साथ कुछ मेसेज जरूर है. यू एन के चाइल्ड राइट समझौते पर आज दुनियां ने हस्ताक्षर किया है. बाल अधिकार के तहत बच्चों की अभिव्यक्ति और निजता को महत्व दिया गया है जिसे पाने का हर बच्चा अधिकारी है. प्रहलाद बाल अधिकार की लड़ाई लड़ रहा था जिसकी लड़ाई आज भी लड़ी जा रही है. होलिका, हिरणयकश्यप और प्रहलाद तो एक ही परिवार और वंश के थे. किसी दूसरे समुदाय ने होलिका को नहीं जलाया. कहानी के अनुसार होलिका को नहीं प्रहलाद को जलाने की साजिश रची गई थी.षड़यंत्र रचने वाली होलिका खुद षड्यंत्र का शिकार हो गई. स्त्री होने के कारण होलिका को जलाने का प्रसंग कहीं नहीं है. गांव में आज भी लोग संवत जलाना कहते हैं, होलिका दहन नहीं. संवत अगर किसी की चिता होती तो उसमें आलू, गेहूं और चना आदि भून कर खाने की परम्परा नहीं होती. किसी त्यौहार को वर्णिय या नस्लीय एंगिल से देखना बिल्कुल गलत है. कौन कहां से आया और किस परम्परा या रिवाज़ की शुरुआत की यह कहना मुश्किल है. सच्चाई ये है कि लेन देन से ही संस्कृति बनी है. छऊ नृत्य में ये मिश्रण तो बहुत हाल का है. बेशक उन परम्पराओं को छोड़ना चाहिए जो समता विरोधी हो और मानवाधिकार की चेतना को खंडित करती हो.स्त्रियों के साथ अश्लीलता और फुहड़ता भी होली में आई विकृति ही है. इन सब विकृतियों को झाड़ने पोछने की जरूरत है. इसी मकसद से हम सब हर वर्ष जुटते हैं. सभी को एक बार फिर पुआ मुबारक अबीर और ग़ुलाल मुबारक

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सृजन मेला

सृजन मेला

23-30 अप्रैल 2023